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India-Pakistan: भारत विरोधी पाकिस्तानी दुष्प्रचार टूल-किट का पर्दाफाश, जानें पूरा मामला

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thumbnail India-Pakistan: भारत विरोधी पाकिस्तानी दुष्प्रचार टूल-किट का पर्दाफाश, जानें पूरा मामला
Feb 5th 2022, 15:42, by प्रणय उपाध्याय, एबीपी न्यूज़

<p><strong>India News:</strong> भारत के खिलाफ जहर उगलने का पाकिस्तान कोई मौका नहीं छोड़ता. इस काम के लिए नित नए मौके और तरीके तलाशता है. ऐसे में कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है, जिसके लिए लड़ाइयों में मुंह की खाने, दुनिया के अनेक मंचों पर फजीहत झेलने के बावजूद पाकिस्तान और उसके हुक्मरान इसका मोह नहीं छोड़ पाते. बल्कि, हर बार ताकत झोंकने की कोशिश करते रहते हैं. इस कड़ी में पाकिस्तान बीते कई सालों से 5 फरवरी को कश्मीर सॉलिडेरिटी डे मनाता है और उसके बहाने भारत के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार करता है.</p> <p>आज <strong>&lsquo;एबीपी न्यूज़&rsquo;</strong> आपको पाकिस्तान के इस प्रोपोगेंडा आयोजन का पर्दाफाश करती एक खास रिपोर्ट बताएगा. आपको बताएंगे कि किस तरह पाकिस्तानी सेना, उसका विदेश मंत्रालय दुनियाभर में फैले अपने दूतावासों, पाकिस्तानी लोगों और उनके संगठनों के नेटवर्क का सहारा लेकर भारत विरोधी ज़हर का कारोबार कर रहा है.</p> <p>हालांकि कश्मीर पर पाकिस्तानी ज़हर खुरानी की बात आगे बताएं इससे पहले आपके लिए यह जानना भी ज़रूरी है कि आखिर यह कश्मीर सॉलिडेरिटी डे कब, क्यों और कैसे शुरू हुआ? पूरा पाकिस्तान इस दिन छुट्टी तो रखता है लेकिन एक आम पाकिस्तानी के लिए कश्मीर का यह मामला कितने मायने रखता है?</p> <p>दरअसल, कश्मीर सॉलिडेरिटी डे की शुरुआत हुई 1990 में, यानि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की आग भड़काने एक ठीक बाद. इसकी जड़ में उस वक्त के विपक्षी नेता नवाज़ शरीफ़ और तब की प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बीच चल रही सियासी खींचतान थी. यह आइडिया जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेता काज़ी हुसैन अहमद ने आगे बढाया था और नवाज़ शरीफ़ ने इसका समर्थन कर उसको ताकत दी.</p> <p>बाद में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने 5 फरवरी को छुट्टी घोषित करते हुए कश्मीर सॉलिडेरिटी डे मनाने का ऐलान किया. तब से पाकिस्तान एक तरफ सीमा पार आतंकवाद की आँच में आम कश्मीरियों को झोंक रहा है वहीं दूसरी तरफ उनके दर्द के बहाने भारत विरोधी भड़ास का खेल चला रहा है.</p> <p><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/fadee45fbaa5b969a3a72d8b57bb56e2_original.jpg" /><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/fadee45fbaa5b969a3a72d8b57bb56e2_original.jpg" /></p> <p>लिहाज़ा इस बार भी कश्मीर सॉलिडेरिटी डे के सहारे भारत विरोधी दुष्प्रचार का पूरा खाका तैयार किया गया. पाक पीएम इमरान खान के 3 फरवरी को चीन दौरे पर रवाना होने से पहले ही 5 फरवरी के लिए उनका सन्देश तैयार कर लिया गया. इतना ही नहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों को भारत विरोधी प्रचार के लिए पाक फौज की मदद से तैयार टूल-किट भी पहले ही पहुंचा दी थी.</p> <p><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/2326b8dff35ddec9acfff2929096bdd3_original.jpg" /></p> <p>खुफिया सूत्रों के मुताबिक पाक सेना के प्रचार विंग आईएसपीआर की देखरेख में जहाँ भारत विरोधी दुष्प्रचार का सामान तैयार किया गया. वहीं पाक विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों को करवाई के लिए 'मोस्ट इमीजीएट' सन्देश भेज सक्रिय किया. उन्हें बताया गया कि कश्मीर सॉलिडेरिटी डे के लिए आयोजनों का सिलसिला 1 फरवरी से शूरू किया जा रहा है.</p> <p>साथ ही बताया गया कि मेज़बान सरकार की नीतियों और छुट्टियों के कारण सभी दूतावासों में एक साथ आयोजन शायद सम्भव ना हो, लिहाज़ा सोशल मीडिया यानि ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सक्रियता बनाए रखी जाए. पाक विदेश मंत्रालय की तरफ से 3 फरवरी को भेजे गए एक ऐसे ही सन्देश को देखें तो नज़र आता है कि पत्र के साथ बाकायदा दुष्प्रचार की पूरी टूल-किट भी पहुंचाई गई. इतना ही नहीं इस प्रचार की बाकायदा रिपोर्ट भी तलब की गई है.</p> <p><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/cf66dba002e9f9d56124f19a679a5fa1_original.jpg" /></p> <p>सूत्रों के मुताबिक पाक सरकार की इस टूल-किट में खासा ज़ोर यूएन मानवाधिकार परिषद जैसी संस्थाओं और एमनेस्टी, ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों को हर सोशल मीडिया सन्देशों में टैग करने की हिदायत भी दी गई है. इस टूलकिट पर अमल करते हुए पाकिस्तान का राजनयिक हैंडल्स से सोशल मीडिया पोस्ट देखे जा सकते हैं. इतना ही नहीं, पाकिस्तान में घरेलू स्तर भी भी कई आयोजनों की तैयारी की गई है.</p> <p>पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 5 फरवरी पर भारत विरोधी सन्देश जारी करने के लिए भले ही चीन की ज़मीन को चुना हो जहां वो विंटर ओलम्पिक उद्घाटन समारोह में शरीक हिने के लिए पहुंचे हैं. लेकिन कश्मीर से जुड़े आयोजनों का सिलसिला उनके लौटने के बाद भी जारी रहेगा. पीएम इमरान खान के साथ चीन यात्रा से लौटने के बाद विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पाक विदेश मंत्रालय में कश्मीर मुद्दे पर 10 फरवरी को एक प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे जिसमें अन्य देशों के राजनयिकों को भी बुलाया गया है.</p> <p><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/9635cb01eedcfd7f076c6a1325bbc85d_original.jpg" /></p> <p>आयोजनों का सिलसिला सरकार के स्तर पर ही नहीं बल्कि विदेशों में मौजूद डायस्पोरा संगठनों और हिमायती समझे जाने वाले विदेशी मेहमानों के साथ आगे बढ़ाना भी इस अभियान का हिस्सा है. इस कड़ी में खास तौर पर अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में भारत विरोधी प्रचार पर ज़्यादा ज़ोर दिया जा रहा है. इसके तहत कहीं विरोध प्रदर्शन तो कहीं सेमिनार, कहीं पोस्टर कॉम्पीटिशन तो कहीं सायकल रैली जैसे आयोजनों पर ज़ोर है.</p> <p>हालांकि इस टूलकिट को तैयार करने के पीछे निर्माता-निर्देशक की भूमिका में पाकिस्तानी सेना और सरकार के डिजिटल मीडिया विंग का अमला लगा है. डिजिटल पाकिस्तान कार्यक्रम के तहत युवाओं को बाकायदा ट्रेनिंग दे इस तरह की डिजिटल दुष्प्रचार सामग्री के लिए तैयार किया जाता है.</p> <p><br /><img src="https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/05/f58534784ba1ec71cd86dc31a0fe4b45_original.jpg" /></p> <p>डिजिटल एनालिसिस से हासिल आँकड़े बताते हैं कि कश्मीर सॉलिडेरिटी डे के लिए 27 जनवरी से 4 फरवरी के बीच करीब 800 ट्विटर हैंडल बनाए गए. वहीं बीते करीब 10 दिनों में इन ट्विटर हैंडल्स के सहारे 9 लाख से ज़्यादा ट्वीट कर 'आई एम कश्मीर', 'कश्मीर लाइव्स मैटर' और 'कश्मीर सॉलिडेरिटी डे' जैसे हैशटेग चलाए जा रहे हैं. इस तरह की सोशल मीडिया गतिविधियों की निगरानी करने वाले खुफिया सूत्रों के मुताबिक ट्विटर पर इस तरह के सन्देशों की सर्वाधिक सक्रियता रात के वक्त होती है.</p> <p>हालांकि यह ही सच है कि इन तमाम कवायदों के बावजूद कश्मीर सॉलिडेरिटी डे एक सालाना रस्म से ज़्यादा नज़र नहीं आता. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इन कवायदों को न तो बड़े पश्चिमी देशों में कोई खास तवज़्ज़ो मिल पा रही है और ना ही इस्लामिक देशों में कोई समर्थन.</p> <p><strong>यह भी पढ़ेंः <a title="ICRISAT 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