Lata Mangeshkar Bhojpuri Songs: जब राजेंद्र प्रसाद के कहने पर लता मंगेशकर ने गाया पहला भोजपुरी गाना, आइए जानते हैं वो दिलचस्प किस्सा Feb 6th 2022, 07:01 पटना/आरा: स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से हर संगीत प्रेमी दुखी है। ऐसे मौके पर लोग अपने-अपने तरीके से लता दीदी को लोग याद कर रहे हैं। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे भोजपुरी भाषी प्रदेश में लता मंगेशकर अपने जीवन काल में एकाध पर ही आईं, लेकिन इसके बाद भी यहां उनके फैन फॉलोअर की कोई कमी नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि भारत में बनी पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' का टाइटल सॉन्ग भी लता मंगेशकर ने ही गाया है। इस गाने में लता मंगेशकर के साथ उनकी बहन उषा मंगेशकर ने भी अपनी आवाज दी हैं। फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' और लता मंगेशकर के गाए टाइटल सॉन्ग से जुड़ा किस्सा बेहद दिलचस्प और यादगार है। आइए इस मौके पर उस किस्से को याद कर लता मंगेशकर को एक श्रद्धांजलि देने की कोशिश करते हैं। देश के पहले राष्ट्रपति के अनुरोध पर लता जी ने गाया था वो गानासाल 1950 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने बतौर पहले राष्ट्रपति कार्यभार संभाला था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी राजेंद्र प्रसाद का ज्यादातर समय पटना के सदाकत आश्रम में बितता। इस दौरान भोजपुरी समाज के कई लोग उनसे मिलने आते। इन्हीं मुलाकातों के दौरान किसी ने राजेंद्र प्रसाद से कहा कि बॉलीवुड में इतनी सारी सामाजिक मुद्दों पर अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनती हैं तो क्या भोजपुरी में कोई फिल्म रिलीज नहीं की जा सकती है। यह बात राजेंद्र प्रसाद के मन में बैठ गई। राजेंद्र प्रसाद जब मुंबई एक कार्यक्रम में गए तो उनकी मुलाकात नाजिर हुसैन से हुई। नाजिर हुसैन ने भी राजेंद्र प्रसाद के सामने भोजपुरी फिल्म बनाने की बात कही। देश के पहले राष्ट्रपति ने नाजिर हुसैन को पहली भोजपुरी फिल्म बनाने का जिम्मा सौंप दिया। साथ ही राजेंद्र प्रसाद ने आश्वासन दिया कि फिल्म निर्माण में किसी भी किस्म की मदद की जरूरत होगी तो वह उसके लिए तैयार हैं। बिहार के रहने वाले नाजिर हुसैन के सामने पहली भोजपुरी फिल्म बनाने में सबसे बड़ी चुनौती पैसों की थी। इसी बीच उनकी मुलाकात स्टूडियो और सिनेमा हॉल का कारोबार करने वाले कारोबारी विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी से हुई। नाजिर हुसैन और विश्वनाथ प्रसाद के बीच हुई कई दौर की बातचीत में तय हुआ कि पहली भोजपुरी फिल्म डायरेक्ट करने का जिमा विमल रॉय को सौंपा जाए, लेकिन बात नहीं बन पाई। इसके बाद डायरेक्शन के काम के लिए कुंदन कुमार को फाइनल किया गया। पहली भोजपुरी फिल्म में संगीत भी यहीं की मिट्टी से जुड़ा हो इसका ख्याल रखने के लिए आरा के रहने वाले संगीतकार शैलेंद्र को फाइनल किया गया। राजेंद्र प्रसाद की सलाह पर फिल्म का मुर्हूत शॉट पटना के शहीद स्मारक में लिया गया। फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बिहटा में हुई। कुछ सीन गोलघर और आरा के रेलवे स्टेशन पर भी शूट किए गए। करीब एक साल में यह फिल्म बनकर तैयार हुई। उस दौर में अगर किसी फिल्म में लता मंगेशकर के गाए गाने नहीं होते तो उसकी सफलता की गारंटी कम हो जाती थी। फिल्म निर्माताओं के कहने पर राजेंद्र प्रसाद ने खुद लता मंगेशकर से अनुरोध किया कि वह फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' के गाने में अपनी आवाज दें। राजेंद्र प्रसाद के अनुरोध को लता मंगेशकर टाल नहीं पाईं और उन्होंने फिल्म का टाइटल सॉन्ग गाया। फिल्म के साथ लता मंगेशकर का गाया गाना हुआ सुपरहिट 22 फरवरी 1963 को यह फिल्म पटना के वीणा सिनेमा हॉल में रिलीज हुई। रिलीज से पहले फिल्म की स्क्रिनिंग पटना के सदाकत आश्रम में की गई। यहां राजेंद्र प्रसाद ने यह फिल्म देखकर इसकी काफी तारीफ की। मधुर संगीत और विधवा पुनर्विवाह जैसे मुद्दों पर सशक्त स्क्रिनप्ले की बदौलत इस फिल्म ने ना केवल भोजपुर बेल्ट में बल्कि पूरी हिन्दुस्तान में हिट हुई। पांच लाख रुपये की लागत में बनी इस प्रादेशिक फिल्म ने इससे कई गुना ज्यादा कमाई की। वाराणसी, पटना जैसे शहरों में यह फिल्म गोल्डन जुबली रही तो कोलकाता जैसे महानगर में सिल्वर जुबली रही। फिल्म का मधुर संगीत हर गली-मोहल्ले और चौक-चौराहों पर गूंजने लगा। यूं कह सकते हैं कि इस फिल्म के गानों की वजह से ही लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, उषा मंगेशकर जैसे महान गायक भोजपुरी बोलने वाले गांव-कस्बे के लोगों के दिलों में छा गए। फिल्म में बॉलीवुड के उस वक्त के स्टार कलाकारों को लिया गयाा था। हिरोइन के रूप में कुमकुम तो पुरुष लीड रोल में अश्विन कुमार को लिया गया। इसके अलावा रामायण तिवारी, भगवान सिन्हा, मदन सिन्हा, कोइलवर के गीतकार एसएस बिहारी, छायाकार द्रोणाचार्य आदि थे। |